200 किलो की पेंडुलम और 50 किलो की सूईया वाली अनोखे घड़ी की अनसुनी दास्तान..........
दर्शकों, मैं दिव्यांशु आप सभी को बिहार की राजधानी पटना में स्थित अद्भुत, अकल्पनीय, अविश्वसनीय 103 वर्ष पुरानी यादें की सैर कराता हूँ...........
पटना बिहार की राजधानी है। जो बिहार के सबसे बड़े शहरों में से एक है। यह जगह सिखों के अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली माना जाता है।
बिहार की राजधानी और सम्राट अशोक के इस पावन भूमि पर कई पर्यटन स्थल हैं तख्त श्री पटना साहिब, गुरुद्वारा, गुरुद्वारा गोबिंद घाट, गुरुद्वारा गुरु का बाग, गुरुद्वारा बाल लीला, पटना संग्रहालय, पटना सचिवालय, गोलघर एवं किला हाउस जैसे कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं।
जिसमें आज हमलोग पटना सचिवालय भवन की परिभ्रमण करेंगे।
बिहार "सचिवालय भवन" "घंटाघर" |
बिहार की राजधानी पटना में स्थित सचिवालय भवन जिसे "घंटाघर" भी कहते हैं यह गौरवशाली एवं उल्लेखनीय इतिहास में से एक हैं। जो अपने आँचल में आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक के इतिहास को समेटे हुए है।
यह सिडनी के प्रसिद्ध वास्तुकार , जोसेफ मुन्निंग्स द्वारा डिजाइन किया गया था और 1913-1917 के दौरान कलकत्ता के मार्टिन बर्न द्वारा बनाया गया था । अंग्रेजों द्वारा इंडो-सरसेनिक शैली में निर्मित, यह 1917 में बनकर तैयार हुआ था।
👉 प्रवेश द्वार
जैसे ही हम सचिवालय भवन की रूख करते हैं, तो हमें महान स्वतंत्रता सेनानी एवं भारत के अखंड बिहार राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह ( श्री बाबू ) की आदमकद प्रतिमा नजर आती हैं।
सचिवालय परिसर में प्रवेश के लिए दो सुरक्षित गेट हैं, जहाँ सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इसके अलावा सुरक्षा के लिहाज से भवन के अंदर जाने के लिए भी सुरक्षाकर्मी की तैनाती रहती हैं।
सचिवालय भवन के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही बिहार की हस्त कला की कई प्रारूप देखने को मिल जाते हैं। राज्य सरकार ने बिहार राज्य के कला संबंधी कई ऐतिहासिक हस्तियों की मूर्तियाँ और चित्र लगाए हैं ।
👉 अनोखापन
अपना शताब्दी पूरा कर चुका यह "घंटाघर" न जाने कितनी यादें को अपने अंदर समाहित किए हुए हैं।
103 वर्ष पुराने भवन और लाल रंग के पत्थरों से बना सचिवालय लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं। इसी वजह से माननीय मुख्यमंत्री ने इतिहास को नजदीक से जानने के लिए इसके मुख्य द्वार आम जनों के लिए खुलवा दिए हैं।
यह 716 फीट लंबा 364 फीट चौड़ा है और शहर की सबसे बड़ी सरकारी इमारतों में से एक है। मूल रूप से, यह 198 फीट ऊंचा था, लेकिन 1934 के नेपाल-बिहार भूकंप के दौरान इसका एक हिस्सा गिर गया । वर्तमान में इसकी ऊंचाई जमीन से 184 फीट है।
इसकी खासियत ही इसकी खूबसूरती हैं । रानीगंज से कंक्रीट की छत और टाइलों के बाहरी आवरण के बीच चार फुट का अंतर गर्म मौसम के दौरान अंदरूनी हिस्सों में उचित तापमान सुनिश्चित करता है।
👉 घंटाघर की विशेषताएँ
घड़ी कोई भी हो समय तो एक ही दिखाती हैं, उसी घड़ी में से एक अनोखे घड़ी की चर्चा करते हैं। जो बिहार के राजधानी में स्थित हैं। जिसे हमलोग "घंटाघर" के नाम से जानते हैं।
घंटाघर की घड़ी का पेंडुलम का वजन 200 किलो तो वहीं इसकी दोनों सूइयों की वजन लगभग 50 किलो हैं। चर्चिल पैटर्न से बनी घड़ी बहुत ज्यादा चर्चित हैं, जिसे देखने हजारों पर्यटक आते हैं।
👉 बिहार के सत्ता की कमान स्थली
सचिवालय भवन का दो मंजिला इमारत हैं। जिसमें कई विभागों के मंत्री और अधिकारियों का दफ्तर है।
इसमें संसदीय कार्य मंत्री, संसदीय कार्य सचिव, ग्रामीण विकास मंत्री, ग्रामीण विकास सचिव, योजना विभाग, खाद्य आपूर्ति विभाग सहित कई और विभागों का दफ्तर है।
पहली मंजिल पर बिहार के मुख्यमंत्री का दफ्तर है, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समय-समय पर बैठते हैं। दफ्तर के सामने मंत्रिमंडल कक्ष है, जहां कैबिनेट की बैठक होती है।
मंत्रिमंडल कक्ष के आगे बिहार के उपमुख्यमंत्री का दफ्तर है। वही, यहाँ मुख्य सचिव के दफ्तर के पास ही वीडियो कॉंफ़्रेंसिंग हॉल बना हुआ हैं, जिसमें दिल्ली एवं अन्य राज्यों से आए अधिकारियों की बैठक की जाती हैं।
"घंटाघर" अपने आप में एक अनोखा और गौरवशाली ऐतिहासिक धरोहरों में से एक हैं। आशा करते हैं की आप जब भी बिहार की राजधानी पटना आए तो पौराणिक सचिवालय का परिभ्रमण करना न भूलें।
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आगे भी आपके ब्लॉग का इंतजार रहेगा ।
शुभकामनाओं सहित आभार..💐